इंतजार करते जिन्दगी हारी | Intjar karte zindagi hari
इंतजार करते जिन्दगी हारी
कब आयेगी नींद प्यारी,
कब मिलेगी किस्मत प्यारी,
सोंच रही जिन्दगी दुखियारी,
इंतजार करती जिन्दगी हारी ।
साल बिता बिस्तर पर,
हाल बेहाल, निडाल होकर के,
सारी जिन्दगी हुई दुसरों की,
कैसे कटे जिन्दगी न्यारी ।
बोल अब सुख गये,
आँखे जैसे पथरा गई,
पानी पर अटकी साँसे हैं,
कहाँ अटकी जिन्दगी सारी ।
मौत से जैसे ठन गई,
जिन्दगी की उससे लड़ाई हो गई,
जान अनजान अब पड़ी है,
इंतजार करती जिन्दगी हारी ।
कब आये लेने यम,
रोज घुटता रहता दम,
मन पर तन पर बोझ भारी,
इंतजार करते जिन्दगी हारी ।
काया का साथ रिश्ते मिलते,
माया का मोह लोग मिलते,
मिलती नही मौत प्यारी,
इंतजार करते जिन्दगी हारी ।।
Kavitarani1
215
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें