इंतजार करते जिन्दगी हारी | Intjar karte zindagi hari



इंतजार करते जिन्दगी हारी 


कब आयेगी नींद प्यारी, 

कब मिलेगी किस्मत प्यारी,

सोंच रही जिन्दगी दुखियारी,

इंतजार करती जिन्दगी हारी ।


साल बिता बिस्तर पर,

हाल बेहाल, निडाल होकर के,

सारी जिन्दगी हुई दुसरों की,

कैसे कटे जिन्दगी न्यारी ।


बोल अब सुख गये,

आँखे जैसे पथरा गई,

पानी पर अटकी साँसे हैं,

कहाँ अटकी जिन्दगी सारी ।


मौत से जैसे ठन गई,

जिन्दगी की उससे लड़ाई हो गई,

जान अनजान अब पड़ी है,

इंतजार करती जिन्दगी हारी ।


 कब आये लेने यम,

रोज घुटता रहता दम,

मन पर तन पर बोझ भारी,

इंतजार करते जिन्दगी हारी ।


काया का साथ रिश्ते मिलते,

माया का मोह लोग मिलते,

मिलती नही मौत प्यारी,

इंतजार करते जिन्दगी हारी ।।


Kavitarani1 

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