कब आओगी | kab aaogi
कब आओगी
एक उम्र बित गयी इंतजार में जीवन सा बित गया ख्वाब में ।
एक उम्र उम्मीद रह गयी है, एक तुम रह गयी हो ।।
तुम कहाँ रह गई हो,
आखिर तुम कहाँ रह गई हो ।।
कई महीनों बाद एक सपना आया,
ये सुबह का सपना बहुत भाया,
जैसे खुशियों की बहार आ गयी हो,
वैसे तुम आ गई हो ।।
हम साथ चल रहे थे, बहुत पास लग रहे थे,
एक पल को ना मैंने तुम्हे छोड़ा, ना एक पल को तुम दूर लगी,
कितना प्यारा वो लम्हा था, कितना मनमोसक वो सपना था,
कितनी प्यारी तुम थी, कितनी प्यारी जिन्दगी थी ।।
क्यूँ नींद खुल गयी थी मेरी,
हाय ! क्यूँ तुम औझल हो गयी थी,
कैसे रोकता खुद को मैं,
बस जी रहा था लम्हा मैं ।।
एक जिन्दगी जीनी है वैसी ही,
एक उम्मीद लिखी है उसी की,
एक चाहत है तुम्हारी ही,
एक आस है तुम्हारी ही ।।
तुम कब आओगी,
कब साथ रहोगी,
बस यही आस लगी है,
तुम से मेरी जिन्दगी है ।।
Kavitarani1
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