मैं चल रहा हूँ | Main chal rha hun
चल रहा हूँ
बहुत बोझ लेकर चलता हूँ,
मैं बहुत संभल कर चलता हूँ ।
हो जाती है गलतियाँ मुझसे,
मैं गलतियों से सिखता हूँ ।
हाँ पसंद नहीं आते लोग मुझे,
चिड़ता हूँ और गुस्सा करता हूँ,
पर क्या करूँ कुछ मजबुर हूँ,
मैं आखिर इनके बीच जीता हूँ ।
होती है हो जाये खफा दुनिया,
संभल रही नहीं मुझसे दुनिया,
कोशिश सबको मनाने की करता हूँ,
मैं अपनी धुन में चलता हूँ ।
काम आते है कुछ लोग मेरे,
कुछ लोग चिढ़ाते है मुझे,
समझ रहा हूँ और बढ़ रहा हूँ,
आज भी शांति की तलाश में हूँ ।
सुकून की तलाश में आशियाना बना रहा,
कैसे-कैसे कर किये जा रहा,
सोचता हूँ कुछ बदलेगा जीवन में मेरे,
बदलने की चाह में बदला जा रहा ।
बहुत बातें आती है मन में,
हर बात की सोंच आज चल रहा हूँ ।
मैं वैसे तो रूका हूँ यहीं,
पर आगे बढने की कोशिश कर रहा हूँ ।।
Kavitarani1
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