मोर नाचता | Mor nachta
मोर नाचता
अपनी धुन में-मैं रहता अपनी धुन में ।
राह चुनता चलता मैं अपने गुन में ।
कोई कहे ना कहे सुधारता रहता हूँ ।
मैं मोर नाचता देखता हूँ ।
और खुद को सवाँरता रहता हूँ ।।
है मोरनी की तलाश में ।
थिरक रहा पैर वो ।
पंखो को फैलाकर ।
नाच रहा है वो ।
थकता नहीं घुम-घुमकर ।
जोश में नाचता झूम-झूमकर ।
जो दिखे मोरनी की झलक कहीं ।
रूकता नहीं एक पल को ।
मनमोहक-मनभावन नाच है ।
मोर को तलाश है ।
इसी तलाश को पुरा करने को ।
मोर नाचता अपनी धुन में ।।
देख मोर की चाल ।
मैं बदला अपनी ताल ।
कोशिशों को प्राथमिकता देता ।
सवँरता खुद और तलाश करता ।
नाच ना आता नाचता हूँ ।
मैं भी मोर सा रहता हूँ ।
वहाँ मोर नाचता अपनी धुन में ।
यहाँ मैं नाचता ।।
Kavitarani1
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