पंक्तियाँ | panktiyan

 


पंक्तियाँ


जल जीवन है,

जल है जहान सारा,

प्रकृति के पंखो में सिमटा,

ये जहान सारा ।


वृक्ष है जीवन के आधार, 

वर्षा है जल का आधार, 

हम है प्रकृति के रखवाले,

हम से है प्रकृति के बोल सारे ।


संगीनी जीवन सार है,

मित्र-संबंधी और प्यार है ।


वक्त आने के इंतजार में,

मेरा जीवन बीत गया ।

आज भी ना इंतजार खत्म हुआ,

ना मेरा वक्त आया ।।


फिर कभी कोई ज्ञान दे,

और कहे ये मेरे अनुभव है,

तो सुनने का मन ना हो भले,

पर उसका सुनाने का मन देख लेना ।


यूँ कोई नहीं बताता अपने जख्म किसी को,

कुछ तो खाशियत दिखी होगी उन्हें मुझसें ।


मैं सुनता हूँ लोग सुनाये जाते है,

बित कहे भी बताये जाते है ।

पर फिर कभी जो मैं पूँछू हाल तो,

जाने क्यों मुझही से छुपाये जाते है ।।


- कवितारानी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi