Rakhi | राखी



राखी 

कोई धागा कहे प्रेम का, कोई रक्षासूत्र पुकारे ।

भिन्न-भिन्न नाम से, भाई-बहन दुलारे ।।

सावन की पूनम पुकारे ।

राखी है प्यारे ।।


है देश अपना त्योहारों का, दीपों का ये रंगो का ।

कभी छतों पर पतंग उङाले, कभी आराम से बैठ राखी बंधा ले ।

सावन की हरियाली पुकारे ।

राखी मनाले ।।


आ बैठ पास बहिन के, बुआ का आशीर्वाद ले ले ।

रक्षा का बंध बंधा कर, कुछ हित वचन ले ले ।

सावन का महिना पुकारे ।

रक्षाबंधन मना ले ।।


है कोई टिस मन में, या रिस भरी है तन में ।

बचपन को थोङा निहार ले, शांत बैठ अपना प्रेम बङा ले ।

इस साल का जाता सावन पुकारे ।

राखी मना ले ।।


आ भाई पास बैठ, हाथ बङा, तिलक लगा ले ।

कुछ मीठा लाई बहिन, आज रिश्तों में रस मिला ले ।

सावन है महादेव का आशीर्वाद ले ले ।

आ राखी मना ले ।।


बदले में उपहार जरूर देना, भाई है रक्षा का वचन जरूर देना ।

कुछ ना दे धन में भले, मन से भाई प्रेम जरूर देना ।

ये जीवन अनमोल है, एक-एक दिन सजा ले ।

बंधा कलाई में राखी इसे सजा ले ।

रक्षाबंधन है प्यारे, आ राखी बंधा ले ।।


- कवितारानी।

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