sab sukhad ho / सब सुखद हो



सब सुखद हो 


अनुभूति में रस, अनुभव में आनंद हो ।

मन में उमंग, जीवन में रंग हो ।

सब कुछ मनमोहक, और अपनी हद में हो ।

मेरा ही नहीं, सबका जीवन सुखद हो ।।


मत भेद रहे, रहे ना मन भेद कहीं ।

तर्कशील रहे, रहे ना तर्क हीन कोई ।

सब ज्ञानवान हो, आनंदित, प्रफुल्लित हो ।

मेरा ही मत नहीं, सबका तर्क- सब सुखद हो ।।


ऋत बदले, ना रीति बदले ।

रिवाज बदले, ना संस्कृति बदले ।

सब पुरातन, प्राकृतिक, जीव हित हो ।

हम ही नहीं, हमारा जहान भी सुखद हो ।।


शिक्षा में सार, व्यवहार में शालीनता हो ।

बङो में प्रेम, छोटों में सम्मान हो ।

सब जैसे सतयुग सा हो, सब गौरवान्वित हो ।

हम ही नहीं, हमारा संसार सारा सुखद हो ।।


आधुनिकता में विज्ञान, धरातल पर विनम्रता हो ।

जग में एक सार, जगत का उद्धार हो ।

सब ईश्वर को समर्पित और जीवन रसमय हो ।

मेरा ही नहीं, इस जग में सबका जीवन सुखद हो ।।


- Kavitarani1 

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