एकांत याद आता है | Akant yaad aata hai
एकांत याद आता है ।
भीङ भरी दुनिया में, मैं अपने आप को खोजता हूँ ।
कुछ पल अकेला रह, मैं अपने एकान्त को खोजता हूँ ।।
मेरा एकान्त बङा प्यारा था, वो जैसे मेरा सहारा था ।
जब कभी मैं दुनिया से हारा था, इसी ने मुझे संवारा था ।।
मुझे एकान्त याद आता हैं, मुझे यही बस एक भाता है ।
मुझे कहने को बहुत कुछ आता है, ये सब मुझे एकान्त में ही बताना आता है ।।
ये धैर्यवान था और सुनता मेरी आराम से ।
खुब समय रखता मेरे लिए और बङा मन रखता था मेरे लिए। ।
कभी छल कपट ना दिखा मुझे मेरे एकान्त में ।
कभी झूठ फरेब ना पाया मैंने एकान्त में ।।
भीङ भरी दुनिया में घूम, मैं अपने लिए समय खोजता हूँ ।
कहीं बह सकूं सतत झरने सा मैं, अपने लिए जगह ढूँढता हूँ ।।
जहाँ जाऊं मनमैलों को पाता हूँ, स्वार्थ से घीरे लोगो को पाता हूँ ।
मैं सच्चा बन, सच्चा रहना चाहता हूँ, इसीलिए एकान्त को चाहता हूँ ।।
कहीं समय का छोर पाकर, शाम को शांत बैठ जो जाता हूँ ।
वहीं एकान्त याद आता है, और मन बचपन को गाता हूँ ।।
मुझे एकान्त प्यारा लगता है, मेरा मन बस वहीं लगता है ।
मुझे फिर से वही जीना है, मुझे बस यही कहना है ।।
-कवितारानी।

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