दूर तुमसे मन नहीं लगता | dur tumse man nahi lagta
दूर तुमसे मन नहीं लगता
अब इदत हो गई है, साथ रहने की आदत हो गई है ।
तुम्हारी आदत हो गई है, मन को लत सी हो गई है ।
अब मन नहीं लगता, बिन तुम्हारे कुछ नहीं जमता ।
शब्दों को सुनने की, तुम्हारी आवाज की आदत हो गई है ।।
साथ सुहाना है मन का बहाना है ।
बहाना है, रह लेगे ऐसे भी वैसे भी ।
रह ना पाता एक दिन भी ।
दूर तुमसे मन नहीं लगता है ।।
गये जब दूर तुम तबसे दीवारें खाती है ।
बंद कमरे में अकेले में हर चीज कुछ सुनाती है ।
छोटे-छोटे काम याद आते हैं ।
बिन कहे ही शब्द गुंजते जाते हैं ।।
अब मन नहीं लगता अकेले में ।
अब रहा नहीं जाता अकेले में ।
अब सब शांत लगता है ।
दूर तुमसे मन नहीं लगता है ।।
- कवितारानी।
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