घर आजा / ghar aaja


 घर आजा


संध्या की लाली, मन की प्याली,

वो प्यास बढ़ाये, घर आ...

घर आजा पंछी, सांझ हुई ।


थक गई  है जमीं, 

खो गई आस भी,

रोशनी की चाह भी,

अब मन को समझा,

संध्या हुई भोले मन,

घर आजा,

घर आजा पंछी,

सांझ हुई आजा ।


भौर का तारा करता इशारा,

कहया है दिन ढूब गया,

सांझ का हुआ इशारा,

ओ सांझ का सहारा,

लौट जा अपने घर,

मन को समझा ना ।

कोई नहीं आयेगा,

ना मानेगी ये सांझ, 

होगा ना रोशन जग,

घर आजा ।।


संध्या लाली, मन की प्याली,

पी गई प्यास, मन की आस,

अब सुन ना मन की, करले नियम की,

खतरों कि जग जागा, 

जागा है खतरा आजा,

सांझ हुई मन आजा,

घर आजा ।।


देख पपीहा गया, वो मैना गई ।

राग अधुरा, अधुरी प्यास रही ।

काम अधुरा, गडरिया भी गया,

खैत छोङ, किसान भी गया ।

गयी है गय्या, धरती की किव्वया,

बढ़ गया अंधेरा, अब आजा ।

आजा घर आजा, वो राह निहारे,

घर आजा ।।


कल फिर जाना है, यह सब दोहराना है ।

कर्म भूमि रण है, वक्त की पुकार है ।

सांझ को जाना, भौर को आना ।

जीवन का गाना, आजा घर आजा ।

मनवा घर आना,

वो माटी घर की, चुल्हा घर का ।

वो चक्की का शौर, भायेगी फिर भौर ।

चले आना फिर तुम,

अभी आजा, संध्या लाली ।

गाये धुन निराली, 

मनवा घर बन आजा,

आजा बन राही आजा,

घर आजा पंछी, सांझ हुई ।

घर आजा ।।


ओ तेरी माई, जन्मी थी,

रोटी सब्जी देई थी, देती थी सिख निराली ।

तु बनता था जब आली, 

तब छोर ना था एक,

एक पल टिका ना था,

ना एक बोल सिखा था,

वो माटी बुलाये,

आजा पंछी आजा ।

आजा वो आंगन आजा,

भाई-बहन थे सांझा,

प्रेम का गीत था गाया,

तुने भी था सुनाया,

भूल ना तु, यहीं था गिरा,

यहीं था संभला, आजा घर आजा ।।


ना रूसवा हो घर से,

ना रूठ तु मुझसे,

मैं घर हूँ तेरा,

बचपन हूँ मैं तेरा,

आजा घर आजा ।

ना रूसवा हो घर से,

ना रूठ तू मुझसे,

मैं घर हूँ, बचपन हूँ तेरा,

आजा घर आजा ।

सांझ हुई, तेरी फिक्र हुई, 

धङकता है जीया, घर आजा ।

संध्या की लाली, प्रेम की प्याली,

लाल खतरा दिखाये,

मन कहे लाल घर आये,

ओ संध्या लाली, मन की प्याली,

कहे मन घर आजा,

सांझ हुई घर आजा,

घर आजा ।।


काली होती रात, घनी होगी काली ।

डर होगा शैतान का, ओ डर होगा तेरा,

तु आजा अंधेरे से पहले, की मन को सुकून होवे ।

घर आजा ।

तु जो होगा पास, अहसास होगा, होगी बात ।

कट जायेगी घनी, हो घनी काली रात ।

डर का ना साया होगा, होगा उल्लास ।

जो तु होगा पास,

वो भौर किरण प्यारी, लगेगी सुबह न्यारी ।

जो कटेगी खुशहाल, हो घनी भले रात, 

सुन कुछ पल आजा, मेरे सुने घर आजा ।

प्यास जगा मिलन की, तङप घर की जगा ।

सुन मेरी आ,

संध्या हुई फिर, राह देखे फिर ।

एक अकेला मन, सुन पल एक आजा,

घर आजा, मनवा तु सुन ले ।

राह तु चुन ले, बैठा है किस ओर,

आजा घर आजा, सांझ हुई घर आजा ।।


-कवितारानी।




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