मैं पीर पूछूं | main peer puchhun



मैं पीर पूछूं


पीर पीङा को कहते या कहते देव जन को ।

मैं तो पूछूं पीर को ।

 पीर पराई जाने जो, जाने दुख जन के ।

दुख ही पीर है, मैं पूछूं पीर को ।

पीर जाने पीङा सारी, सारी पीर जाने है ।

जाने यहाँ पीर है देव ही ।

तो ही पीर है तो दुख दर्द ही है पीर यों ।

मैं पीर पूछूं जग से ।

पीर में देव है, देव ही है पीर ये ।

क्या पूछ रहा हूँ मैं, भ्रमित हूँ खुद ही मैं ।

मैं पीर पूछूं यूँ जग से ।

मैं पीर पूछूं ।।


-कवितारानी।

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