तभी जी पाओगे | Tabhi Jee Paoge


तभी जी पाओगे


यदि कर सको तो सहन करो ।

यदि रह सको तो शांत रहो । 

यदि पी सको तो क्रोध पीओ ।

यदि खा सको तो अहम खाओ ।

यदि कह सको तो सच कहो ।

यदि सुन सको तो मधुर वचन सुनो ।

यदि कर सको सत्कर्म करो ।

यदि रख सको तो सम्मान रखो ।

और कुछ ना रख सको तो, खुद का मान रखो ।

आत्मा में अभिमान रखो ।

आँखो में प्रेम रखो ।

गालो पर सौन्दर्य रखो ।

होठों पर राम रखो ।।


देखो फिर ये जग तुम्हारा होगा ।

देखो फिर ये कल तुम्हारा होगा ।

ये सब जो तुम देख रहे सब तुम्हारा होगा ।

ये सब तुम्हारा गुणगान करेगा ।

ये सब तुम्हारा ही सम्मान करेगा ।।


और फिर तुम जीओगे,

और सच में तभी तुम जी पाओगे ।

और तुम कहोगे यही तो वो जीवन है,

जो पढ़ा था काताबों में ।

जो सुना था कभी अपनों में,

जिसके थे गीत बने ।

जिसके थे कई मनमीत बने, अपने बने ।।


कठिनाई से ना डरना तुम ।

आंसुओ से ना भरना तुम ।

आये मुश्किलें हजार लङ लेना ।

पर मंजिल की राह पर ना रुकना तुम ।

मैं रुकने की कहूँ ,या कहे मन हार के, तो भी चलना तुम ।

तभी जी पाओगे और मंजिल को पाओगे ।।


-कवितारानी।


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