वक्त-वक्त की बात है | waqt-waqt ki baat hai

 वक्त-वक्त की बात है


वक्त-वक्त की बात है,  हाँ सब वक्त की बात है ।

कोई खास होता है कभी, कभी कोई नाराज है ।

कोई खाश होता है कभी, कभी कोई नागवार है ।

ये समझ की बात है, या फिर बस वक्त की बात है ।।


ज्ञान देता है नीच कोई, बेबस सुनता इमानदार है ।

घमंडी अकङता है कहीं, सहता बलवान लाचार है ।

लुटता देश-दौलत को कोई, देखता बेबस आम है ।

ये वक्त-वक्त की बात है, हाँ सब वक्त की बात है ।।


चापलूस करता मौज कहीं, मेहनती का ना गुणगान है ।

गुणहीन का बोलबाला कहीं, गुणवान का दिक्कार है ।

बेईमान ईमान का बखान, सुनता जन जैसे ज्ञान है ।

ये सब वक्त की बात है, ये वक्त-वक्त की बात है ।।


उपकार करता लालची, निस्स्वार्थ दान का बहिष्कार है ।

शराबियों की वाह वाही, सज्जन का तिरस्कार है ।

अपराधियों को पुरस्कार कहीं, नेक दिल पर अत्याचार है ।

ये वक्त-वक्त की बात है, ये सब वक्त की बात है ।।


सन्मार्गी का मजाक कभी, कुमार्गी पर ध्यान है ।

कुकर्मी का सत्कार कहीं, सत्कर्मी पर तलवार है ।

कलियुग का दौर भारी, हर और हाहाकार है ।

ये वक्त की बात है, ये आज के दौर की बात है ।।


-कवितारानी।

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