आके कुछ सलाह दो / aake kuchh salah do
आके कुछ सलाह दो
आओ संभाल लो टुट गया हूँ,
कैसे कहुँ तुम्हें कि अंग-अंग से रुठ गया हूँ।
कैसे करुँ आगे जीने की चाह,
जीने के हर रंग भुल गया हूँ और भुल गया हूँ हर राह।।
आके एक बार गले लगा लो,
बिखर गया हूँ हाथ थाम लो,
जीना ना मंजुर अब सपने बिन,
दिन रात करता मेहनत अब ना जीना सपने बिन,
आके राह बतला दो,
जा सकुं थोङा और आगे कुछ समझा दो।
कहीं जीवन दोङ ना छोङ दूँ,
कहीं गलती से इस काया को ना छोङ दूँ,
आके एक बार आगे भी बतला दो,
जीना मुश्किल है सपनों बिन जिऊँ कैसे बतला दो।
एक ख्वाब है सपनों को पुरा करने का,
जुनुन उसी में जीने का,
दिन रात एक कर पागल सा हो गया था,
क्यों ना मिला मेहनत का सिला,
क्यों ना मुझे सफलता का रस मिला।
हॅसने का एक मौका मुझे भी दो,
जीना है सपनों संग एक मुकाम मुझे भी दो,
आके जरा मुश्किल घङी में हाथ थाम लो,
एक दिन खुश रहने का मौका मुझे भी दो।
आगे की बनाई है रणनीति,
पर मैं टुटा-टुटा,
आगे की सोंच बढ़ाये है कदम,
पर जग से, रब से मैं रुठा-रुठा,
एक बार आके एक कदम मेरे साथ बढ़ा दो,
दे दो कुछ अच्छी यादें की ये पल जी लूँ,
आके जरा कुछ अच्छा मुझे बता दो,
बहुत अकेला पाता हूँ खुद को,
माँ हाथ सर पर घुमा दो।
आँखों से आंसुओं को कोई तो दुर करे,
कब तक हम मर-मर के जीये,
आके एक बार और होंसला बङा दो,
अकेला पङा हूँ आके समझा दो।
आके एक पल मेरे साथ बिताओ,
आ जाओ संभाल लो टुट गया हूँ,
जिन्दगी से कुछ हद तक रुठ गया हूँ,
आके कुछ दुख को भुला दो,
टुट गया हूँ अंदर से मैं.
कुछ पल जो बुरे जीये उन्हें मेरी यादों से मिटा दो।।
- कवितारानी।

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