बेदर्दी जिन्दगी कब तक / bedardi zindagi kab tak



बेदर्दी जिन्दगी कब तक 


बेदर्दी जिन्दगी कितने इम्तेहान लेगी,

सर्दी में साँस और गर्मी में आस लेगी,

अपनों का सितम और बेगानों का दर्द देगी,

बेदर्दी जिन्दगी और कितने इम्तेहार लेगी,

चुप के जहान से कब तक रोने का हाल देगी,

दिल में प्यार और बाहों को विरान करेगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी,

छुपा के रखे दर्द को कब तक निकलेगी,

हर आँखों में प्यार और जुबान पर इनकार देगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी,

मौत का आलम और अपनों का वार देगी,

मुर्झाये हुए इस चहरे को कब रोनक देगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक सितम देगी,

रोज निहारते है उसकी राह कब वो हर देगी,

मन का मनुहार और दिलों का प्यार देगी,

नौकरी के साथ पैसों का हार देगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी,

कब तक प्यास को बढ़ाती रहेगी,

कब तक मेरे एतबार करेगी,

जीने की लालसा छोङने का हाल करेगी,

लगता है ये समय से पहले मेरी जान लेगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक इम्तेहान लेगी,

हर दिन नया रुप लाती रहेगी,

हर पल नया अजुबा पैस करेगी,

हर नये तरीके तरीके से अपना सितम देगी,

हर बार मन को पानी से भर देगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी,

आँसु नहीं ये आँखों के शोले भरती है,

 बाहर जो आते वो अंगारे देती है,

टिस ही नहीं इसकी अलग मार होती है,

जिन्दगी की हर मार में कराह होती है,

कब तक मन पे यूँ ही वार करेगी,

जीना है तो आनन्द दे,

कब तक यूँ ही सितम करेगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब दर्द देगी,

अब तो सुकून दे दे एक अरसा बित गया,

तेरी बाहों में मुझे एक दिन और बित गया,

ना दे सके फुलों को हार तो कोमल बाँहे दे,

माँ का दुलार ना दे सके कम से कम दिल का आराम दे,

मित्र दे दिलदार दे,

मुझे अब तो जीवन का सार दे,

अब तो बन्दगी को सवार दे,

कब तक यूँ ही रुसवाई करेगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी,

कब तक यूँ ही इम्तिहान लेगी,

बेदर्दी जिन्दगी कब तक दर्द देगी।।


- कवितारानी।

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