दो पल चैन / do pal chain
दो पल चैन
तु दे दे दो पल का चैन... के जग जीया,
मैं जीया... हाँ जीया... जग जीया... जग जीया,
तु शाम का तारा,
मैं जग का हारा,
तु शाम का तारा मैं जग हारा,
ढूँढू तुझे...
तु खोया कहाँ,
कहाँ खोया... आ पास आ,
आ दे दे दो पल का चैन,
के जग बिसरा हूँ मैं,
के रात भटका हूँ मैं,
आ पास आ दे दे हाथ तेरा,
साथ तेरा,
के पार हो जाऊँ... भव सागर को,
आ जा पास... पास मेरे,
तुझे बताऊँ मेरे ख्वाब,
मेरी जिन्दगी की सारी आस,
आ बैठ मेरे पास,
तुझे सीने लगाऊँ... गोदी में सो जाऊँ,
तुझे सपनों के मेरे संसार घूमाऊँ,
आ पास बैठ मेरे,
मुझे दे दे... दो पल तेरे... दो पल तेरे,
कि तु ख्वाब है,
तु मेरी जिन्दगी,
तु ही मेरा सुकून.
तुझसे ही मेरा है हर जुनून के जग अंधेरा बङ गया...
मैं सपनों में फिर खो गया,
आ पास मेरे... दे दे मुझे... दो पल तेरे,
जग बिसरा हूँ रात का तारा,
तु भौर सुहानी... मैं आवारा,
आ पास मेरे... आ पास मेरे... दे दे दो पल का चैन...
दो पल चैन।।
- कवितारानी।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें