एक ख्वाब था हसीन / ek khavb tha hasin
एक ख्वाब था हसीन
देखा एक ख्वाब था हसीन,
कर रहे थे उसी पर क्यों यकीन,
साथ था वो पास था वो सोच रहा था कुछ।
मेरे लिए बनायी थी एक महल सी चीज,
देख रहा हूँ कैसे करती है पुरे ख्वाबों की जमीन,
देगा सारी कायनात वो मुझे।
कैसे कहुँ अब होगा ख्वाब वो पुरा,
कैसे कब होगा मेरा अधुरा सपना पुरा।
आज भी यकिन है आयेगा कोई तो ये,
सोंच के ही बैठे रहते यहाँ।
यार वो हसीन होगा,
अधुरा सपना होगा,
ख्वाब वो पुरा होगा,
एक दिन, एक दिन।
कैसे कहुँ के ख्वाब है तेरा ही दीदार है,
देख रहा हूँ जो देख ले तु भी ऐ मेरे नसीब।
एक सोनी है कुङी मेरे संग मेरे,
यह भी देखा एक ख्वाब था हसीन,
होगा पुरा भी कभी ये ख्वाब हसीन,
देखा एक ख्वाब था हसीन।।
- कवितारानी।

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