मुझे आजाद जीने दो / mujhe aazad jeene do
मुझे आजाद जीने दो
आजाद हूँ मुझे जीने दो,
बांधो ना यूं बंधनों में,
जकङो ना किसी वादों में,
करो ना इतनी उम्मीदें मुझसे,
मुझे बस जीने दो,
आजाद हूँ मुझे आजाद जीने दो।।
ना जाने कौनसा पल आखरी होगा,
ना जाने कौनसा दिन आखरी होगा,
बस आज की उम्मीद करता हूँ,
बस वर्तमान में जीता हूँ,
मुझे वर्तमान में जीने दो,
मैं आजाद हूँ मुझे आजादी से जीने दो।
थोपो ना अपनी बातें मुझपे,
दबाओ ना अपने मुताबिक जीने को,
गलतियों को मेरी इतनी हवा मत दो,
माफी जो मांग ली मैंने,
मुझे कल पर पछताने के बजाय,
मुझे आज पर ध्यान लगाने दो,
आजाद हूँ मुझे आजाद जीने दो।
खता क्या हुई मैंने भुला दिया है,
क्या थे दुख सब बिसरा दिया है,
बस आज ना हो कल सी गलतियाँ इतना याद रखने दो,
मुझे कल की नाकामी से ऊपर तो उठने दो,
आजाद हूँ आजादी से सोंचने दो।
क्या खता मेरी थी,
क्या सारे गुनाहों का कारण भी मैं ही था,
क्या आपकी गलतियों से आप बच जाओगे,
चलो कर लो मनमानी मैं नहीं कहुँगा,
पर फिर मेरी जिन्दगी मैं ना आना दुबारा,
मैं ना मौका दुँगा ना रास्ता आने का,
क्योंकि मैं कहीं जगहों पर आजाद हूँ।
मैं सोंचता सबकी हूँ.
मैं सुनता सबकी हूँ,
मैं सब को आगे जाने के मौके देता हूँ,
मैं किसी का हक मारता नहीं हूँ,
मैं दुख किसी को देता नहीं हुँ,
पर मैं करता अपने मन की हूँ बस।
सही गलत का फैसला भी मेरे मन का ही होता है,
बस मेरे जीवन पर प्रभाव होता है औरों का,
इस प्रभाव को हटाने तो दो,
आजाद हूँ आजादी से जीने तो दो।
कहने दो कि मैं ये कर सकता हूँ,
कहने दो कि सब ठीक कर दूँगा विश्वास करो,
कहने दो कि मैं विश्वास नहीं तोङूँगा,
मुझे आजादी से सोंचने तो दो,
मैं जब आजाद हूँ तो मुझे आजादी से जीने तो दो।।
- कवितारानी।

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