आओ कुछ बात बनाये | Aao kuchh baat banaye
आओ कुछ बात बनाये
ये दिन गुजर जायेंगे, ये साल गुजर जायेंगे।
ये चेहरे बदल जायेंगे, ये हालात बदल जायेंगे।
अपने रिश्ते बदल जायेंगे, अपने भाव बदल जायेंगे।
अपनी बातें बदल जायेगी, अपनी मुलाकातें भूला दी जायेगी।।
कुछ रह जायेगा गुजरा हुआ सा।
कुछ अहसास करायेगा हल्का सा।
जब खाली लम्हों में होंगे।
जब एकान्त में खोये होंगे।
वो यादें होगी बातो की।
वो बातें आयेगी मुलाकातों की।।
फिर हम ना होंगे साथ कभी, ना साथ होने वाले होंगे।
फिर चाहेंगे कितना ही बात करना, ना बात हो पायेगी।
आज वश चल रहा है, कल वश में समय के हो जायेंगे।
आज पराये हैं दूरियों में, कल सच में पराये हो जायेंगे।।
याद आयेंगे बिते लम्हे फिर।
ख्वाबों में कभी हम आयेंगे।
रोज का सताना हो ना भले।
कभी सपनों में आते जायेंगे।
फिर वही कहानी दोहरायेंगी।
पर फिर कभी आज सी बात ना होगी।।
आओ समेट ले आज को, जो मिल रहा उस सबको।
परेशानियों को और बढ़ ही जाने दे, यादों को बढ़ ही जाने दे।
ये जो किस्से बने वो कल साफ छवि हो, दिखे कुछ भले पर रवि हो।
चुभती रोशनी नहीं, मधूर संगीत हो, यादें हो।।
कुछ खास बातें बुन जाये।
आओ कुछ खास यादें बन जाये।
दूर रहे या पास रहे हम।
गुजरते लम्हों को खास बनाये हम।।
-कवितारानी।

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