क्यों लोग रुठ जातें है | kyon log ruth jate hai
क्यों लोग रूठ जाते हैं
कोई कहता मैं बात नहीं करता।
कोई कहता मैं साथ नहीं रहता।
कोई कहता मैं सुनता नहीं उनकी।
कोई कहता मैं उनकी चलने नहीं देता।।
अब अपने दुख कहूँ किससे।
अब तु ही सुन ऐ जिन्दगी।
कोई समझता नहीं मुझे कि पूँछूँ मैं।
कि क्यों लोग रूठ जाते हैं।
कि क्यों लोग समझ नहीं पाये हैं। ।
जब बात करता हूँ तो चलने नहीं देते।
साथ देता हूँ तो दूर कर देते।
पास बैठ सुनूँ तो चूप नहीं रहते।
और मैं कुछ कहूँ तो चिढ़ जाते हैं। ।
कैसे समझाऊँ इन्हें ऐ जिन्दगी मैं।
मुझे सच्चे लोग पसंद है।
सच के मुखोटे पहन आने वालों से नफरत है।
अपना कह ठोकर खाई कई बार।
नजदीकियाँ बढ़ाकर रूसवाईयाँ पाई कई बार।।
और मेरे सपने है जिन्हें साकार करना चाहूँ मैं।
कुछ आम लोगों से ऊपर उठना चाहूँ मैं।
मन से साफ लोगों में रहना चाहूँ मैं।
खुलकर मुस्कुराना चाहूँ मैं। ।
तू ही बता ऐ जिन्दगी क्या करूँ मैं।
अपनी कहने पर या साथ खुलकर जीने पर।
क्यों लोग दूर जाते हैं।
क्यों लोग कुछ शब्दों में रूठ जाते है।।
-कवितारानी।

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