लाइफ में मेरे | Life mein mere



लाइफ में मेरे


पहले ही लाइफ में बङे लफङे हैं।

जहाँ देखूँ आस-पास बस पागल खङे हैं।

अङे हैं अपनी बात पर कुछ बेवजह लङे हैं।

कहाँ देखूँ, कहाँ सुनूँ पहले ही बखैरे हैं।।


अब अपनी थोङी ज्यादा सोंचता हूँ।

मैं अपनी धून में कुछ ज्यादा रहता हूँ।

कहता हूँ उतना जितना सहता हूँ।

फालतू की बातों से अब दूर रहता हूँ।।


हाँ पता है मुझे कोई मतलब नहीं।

बाहर बैठना अब जमता नहीं।

मेरे जैसे अब रोज कमाते हैं।

कुछ अपनी लुगाई की तो कुछ,

अपने बच्चों की गाते हैं।।


मेरा अभी कोई प्लान नहीं।

शादी जैसी कोई मेरे ध्यान में नहीं।

और लोगो को पङी मेरी।

जिनकी जिन्दगी कहीं गटर में है पङी।।


वो आके समझाते हैं जन्नत कहीं।

कहीं है जन्नत तो बस वहीं।

और आधा घन्टा दिन बन जाता है।

मेरा मन साला अकेले में गाता है।।


कहाँ से मन मंजिल को लगाऊँ।

फिर यही सोंचता क्यूँ पागलों में जाऊँ।

पहले ही कई झमैले हैं।

लाइफ में मेरे बङे बखैरे हैं।।


-कवितारानी।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi