मेरा खयाल है | mera khayal hai
मेरा खयाल है
ये मेरा खयाल है, ये ख्वाब भी है मेरा।
जैसा चाहिए तुम्हें वैसा ही नवाब है मेरा।
शौक नहीं कुछ भी ऐरे गैरे, फिर किस बात के बखैरे।
है पङोस में रहती तू, तू क्यूँ ऐसे रहती है।
मेरी बातों को सिरीयस ले ले ना यूँ।
तेरी छत का मोर रोज देख मुझे नाचता।
तू किस ऐंठ में बैठी रहती, क्या कुछ समझ ना आता।
समझ जरा की बंधा सीधा साधा है।
पास है कई डिग्रीयाँ और सरकारी स्कूल में जाता है।
हाँ कम है इनकम पर तू जमेगी ये खयाल है।
अब ज्यादा भाव ना खा, ना नखरे दिखा।
आता है जो बता और ना आता है जो मुझे समझा।
एक जिन्दगी, एक भाव है, तेरा मेरे बारे में क्या खयाल है।
जो भी है अब मुझसे कह।
एक बार साथ बैठ मुझे भी कुछ कहने दे।
दुख सहे मैने समझता हूँ।
प्यासा हूँ पानी की किमत जानता हूँ।
फिर तू तो मिनरल वाटर है मेरे लिए।
तुझे कैसे मैं रखुगाँ समझ जा।
आ बैठ कई कुछ बात करें।
जीवन कटेगा साथ या नहीं इस पर मनन करें।
करें ना फालतू बात, अगर हो विचार।
तो मुझे बता, हाँ ये मेरा खयाल है।
ये मेरा ख्वाब है कि कोई मिले तझसी।
बस ये मेरा खयाल है।।
-कवितारानी।

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