मेरी गली में / meri gali mein
मेरी गली में
तुम आये हो मेरी गली में, जाना ना अब दुजी गली में।
भुला बिसरा में वापस आया, नजरों में फिर तेरे छाया।
छाये हो फिर मेरे मन पर, जाना ना अब दूर कहीं पर।।
तुम आये हो मेरे शहर में, जाना ना अब दुजेशहर में।
भूल गया मैं सारी बातें, रस्में और सारी यादें।
दुख देती जो भूल गया मैं, चाहत भरी सारी मुलाकातें।।
तुम आये हो फिर से मिलने, शुरू करें फिर नयी बातें।
मैं ना कहूँगा बिते लम्हे, तुम सुनाना अपनी जिन्दगी की सौगातें।
कहना ना तुम कैसी चल रही है, जिन्दगी अपनी कैसी कट रही है।।
तुम आये हो मेरी गली में, तुम आना ना मेरे घर पर।
दुर से ही आह भर लेंगे, कुछ ना कहेंगे, कुछ ना सुनेंगे।
नजरों से हो गुनाह, नजरें मिलाये ना, बस आहट से जी लेंगे।।
जी लेंगे ये दिन भी ऐसे जैसे जीये है कई लम्हे।
तुम आये हो तुम जाओगी, मेरी बाते कब समझ पाओगी।
तुम कहती हो तुम कहोगी, पर मेरी बातों को कब समझोगी।।
कहना ना तुम मेरे बारे में, सुनना ना तुम मेरे बारे में।
जाने दूगाँ, रोक सकू ना, खूद पर वश नहीं रख सकूँगा।
देखूँगा चुप चुप,चुप ही रहूँगा, मैं अपनी आह किसी से ना कहूँगा।।
अजनबी बन गये जो अब अजनबी रहेंगे।
जो लिखा हुआ है किस्मत में वो सहेंगे।
सह लेंगे जो मन पर आयी तो, तुम लहना अपने घर पर।।
तुम आये हो, चले भी जाना, रूकने का नहीं कोई बहाना।
रोकूगाँ मैं ऐसा कारण नहीं है, बातों का अब अर्थ नहीं है।
जाऊँगा मैं भी छोङ इस गली को यादों से अब वास्ता नहीं है।।
रास्ते जुदा, नजरे जुदा, बातें अब मैल नहीं है।
तुम आये हो, मेरी गली में, जाना अब तुम अपनी गली में।
मैं जाऊँगा अपनी गली में, आना ना तुम फिर मेरी गली में।।
आना ना तुम फिर मेरी गली में।।
-कवितारानी।

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