पता है मुझे | Pta hai mujhe



पता है मुझे


समय से उठ जाता हूँ आजकल,

पता है मुझे कोई जगाने नहीं आयेगा।

अपना खाना खुद ही बना लिया करता हूँ,

पता है कोई खाना बनाने नहीं आयेगा।

खयाल रखता हूँ खुद का मैं,

जानता हूँ कोई सहलाने नहीं आयेगा।

पैसे बचा लेता हूँ अपने कल के लिए, 

पता है जरूरत पर कोई काम नहीं आयेगा।

लिख लेता हूँ अपने लम्हों को मैं,

पता है फिर कोई याद नहीं दिलायेगा।

उम्मीदें छोङ दी मेरे अच्छे की मैने,

पता है मुझे जो है लिखा है हो जायेगा।

मन लगाकर काम करने लगा हूँ मैं,

पता है मुझे मेरा नाम इसी से होगा।

ज्यादा उम्मीदें नहीं किसी से मुझे,

जानता हूँ जिसे आना है बिन बुलाये आयेगा।

आशान्वित कम रहता हूँ अब मैं,

जानता हूँ जो है उससे गुजारा चल जायेगा।

खुद की परवाह करने लगा हूँ मैं,

पता है कल कोई पास नहीं आयेगा।

खुलकर जीने लगा हूँ मैं,

ये लम्हा गया तो फिर ना आयेगा।

समय के साथ चलने लगा हूँ मैं,

पता है मुझे ये समय फिर ना आयेगा।

अपना खयाल रखने लगा हूँ मैं,

पता है मुझे ये समय फिर ना आयेगा।।


-कवितारानी।


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