जिन्दगी तुझसे खफा नहीं | Zindagi
जिन्दगी
खफा नहीं तुझसे ऐ जिन्दगी मैं।
तू है तो हूँ मैं।
ख़फा नहीं तुझसे तुझसे ऐ जिन्दगी मैं।
तू है तो हूँ मैं।
बस शिकायत है तुझसे ये।
जो चाहा कभी वो मिला नहीं हैं। ।
ख्वाब सारे समेट बचपन जीया।
आज फिर याद कर रहा क्या जहर था पिया।
याद नहीं कुछ खास ऐ जिन्दगी।
पर पास नहीं कोई बंदगी।
बस शिकायत है तुझसे ये।
जो चाहा कभी वो मिला नहीं। ।
क्या पास था मेरे सोंच रहा हूँ मैं।
क्या पास रह गया सोंच रहा हूँ मैं।
जो था वो पसंद नहीं आया कभी।
जो है वो सपनों सा लगता ना कभी।
बस शिकायत है तुझसे ऐ जिन्दगी।
जो चाहा कभी मिला नहीं। ।
खफा नहीं तुझसे मैं ऐ जिन्दगी।
जो है वो कहीं से कम नहीं।
पर सपने दिये जो अनगिनत सब ही।
कोसते हैं मन में पङे कहीं।
बस यही शिकायत है तुझसे जिन्दगी।
जो चाहा कभी वो मिला नहीं। ।
-कवितारानी।

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