काश कभी / kash kabhi
काश कभी
वो सुने लम्हे टिस ना देते।
अकेले में आँखे नम ना होती।
कभी आधे-अधुरे ख्वाब ना होते।
काश कभी घात ना होती।।
विश्वास अमर बना वो रहता।
मन की करते मन की ही होती।
सबके कहने सच ना होते।
काश कभी कोई ना रोते।।
खुशियाँ लम्हे हर बार होती।
बैठे बिठाये तन की साँस होती।
सुकून चैन हर दम भरते।
काश कभी आहे ना भरते।।
निर्मोही कुछ दुखियारे मिले।
अपने मन की करने वाले मिले।
था ही लेकर कुछ सपने चले।
थे जो सपने काश पुरे होते।।
टुटे सपने टिस ना देते।
आधे जिये वो ना रिझते।
सपने का साकार होना था।
काश कभी मन ना रोना था।।
काश कभी मैं ना होता।
सपने ना जीता ना ठोकर खाता।
ना कोशिशें हजार होती।
काश कभी अँखियाँ ना बहती।।
-कवितारानी।
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