बीते लम्हे, नव वर्ष आया / Beete lamhe, nav varsh aaya
बीते लम्हे, नव वर्ष आया
फिर बीत गया साल देखो,
फिर बीत गयी बात देखो,
रहा नहीं साथ कुछ,
रह गये जो जज्बात देखो।
कहते हैं हम साल जीते हैं,
अपनों संग दिन रात सीते हैं,
काट देते हैं समय के साथ को,
वास्तव में हम दिलों के जज्बात जीते हैं।
जा रहा है एक साल दो हजार पच्चीस भी,
आ भी रहा है एक साल दो हजार संग छब्बीस भी,
देखते हैं ये जाते हुए साल को कैसे भुला पाते हैं,
नये साल का एक स्वागत गान आज से गाते हैं।
मेरे रुठे, मुझसे ना मिलना तुम,
मेरे छुटे लम्हें पुरे होना तुम,
सपनों तक को राहें देना,
नव वर्ष मांगु तुझसे हर्ष ही देना तुम।
चलो आज को अच्छे से अलविदा कह दें,
भुल जाये बुरे रहे जो लोग ओर लम्हे,
याज रखे सिख जो दे गया है,
आगे बढ़े लेकर नये रास्ते।
नव उमंग संग, नव वर्ष नव रंग हो,
ईश्वर करे नव वर्ष शांत, संतुष्ट सुकून रहे,
करे कृपा ईश्वर सब पर,
अपनी नाव सन्मार्ग, उन्माद बहे।।
-कवितारानी।
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