कल-कल / kal kal
कल-कल
वो पल मैं क्यों याद करुं जो सताये मुझे, रुलाये मुझे।
जो पथ पर ना ले जाकर भटका दे मुझे, भुला दे मुझे।
आज मेरा है साँसे मेरी है।
हर दम प्रयासरत बातें मेरी है।
कौन कहता है कल नहीं आता।
मैं तो कहता हुँ आज नहीं जाता।।
जो गया है कल वापस ना आने को है वापस यहाँ।
आया नहीं जो उसकी सोंचुँ क्यों मैं भला।
आने वाला आयेगा ही।
जाने वाला जायेगा ही।
ये वक्त की रफ्तार है।
रोक इसे सकेगा कोई नहीं।।
फिर वो बातें आने क्यों दे मन में मस्तिष्क में।
फिर क्यों करुँ कल-कल की चिंता मैं।
ना कल का आज ठीक होगा।
ना कल का आज जीना होगा।
एक लय से आज जीया तो।
कल ना याद होगा ना याद आयेगा।।
वो बुरे कल का डर और निकल गया उसका भी गम।
आज को ना भ्रमायेगा, जो आज ही जीता जायेगा।
आज मेरा है साँसे मेरी है।
हरदम प्रयासरत बातें मेरी है।
मैं कल-कल मैं कलकल ना गाऊगाँ।
कल-कल में आज नहीं गवाऊगाँ।।
-कवितारानी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें