ये वक्त भी गुजर जायेगा / ye waqt bhi gujar jayega

ये वक्त भी गुजर जायेगा


आयेगा अंधेरा फिर ऊँजाले के बाद,

घङी की सुईयाँ फिर होगी लेकर नया सार।

आयेगा नये दिन की पहर नये लम्हे लिये।

नया साल होगा फिर एक याद।

आज की करुँ बात तो आज मिट जायेगा।

ना यादें होगी ना अँधेरा ऐसा।

मन में बातें होगी जो होगा नया।

कहनें को बातें चार है ये वक्त भी गुजर जायेगा होकर सार।

गुजर जायेगी हाथ की रेंखाएँ रेत सी फिसलन लिए।

सोंचते रह जायेंगे कितना सा था साल।

ये वक्त भी गुजर जायेगा होकर सार।।


-कवितारानी। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi