भूल जाऊगाँ।



भूल जाऊगाँ।


धुल उड रही , चीखे गुजँ रही।

दौड भाग चल रही, छुपन छुपाई हो रही।

पर बस  यादो मे, बस अहसासो मै।

जब चाहूँ तब य़ाद करूँ, मे आज कर रहा।

मै भूल गया बचपन सारा, जवानी भी भूल जाउगाँ।

समय का साथी मै , सारथी यादो का।

जब चाहूँ जिस ओर चाहूँँ,लिखूँ बाते।

मन मे रखी हुई कई सारी यादे।

मै जग के इस चक्रव्यूह से निकल जाउगाँ।

आज नही तो कल  मै , तुम्हे भूल जाउगाँ।

जैसे भूला बचपन को , ऎसे भूलाऊगाँ।

मै तुम्हे भूल जाउगाँ।।


- कविता रानी ।


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