वो रूठी सी है।
वो रूठी सी है।
दोस्त कहु या सहेली।
हाँ पर वो है पहेली।
सवाल सारे उसके परिचित है।
जवाब से उसके सुचित।
मै चित सभाले सुनता हूँ।
उसकी बातों से लम्हें बुनता हूँ।
वो आजकल कुछ रुखी सी है।
लगता है जैसे वो रुठी सी है।
बेवजह यूँ दूर जाना किसी का।
समझ आता नहीं पर आदत है।
हाँ मुझे ऐसे लम्हों की आदत है।।
- कविता रानी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें