तुम खास हो मेरे लिए।



 
तुम खास हो मेरे लिए।

लाखों लोग हैं यूँ तो दूनिया में।
पर कोई जमता नहीं मेरे लिए।
यूँ तो हजारों हैं चाहने के लिए।
पर चाहते नहीं किसी को तुम जैसे।
कोई कुछ भी कहे तुम सुनना ना।
क्योंकि तुम खास हो मेरे लिए।।

यूँ तो कह सकते हैं किसी को भी।
पर कहते नहीं इस मन के लिए।
अपनाने को अपना सकते हैं किसी को भी।
पर जगह नहीं मन में किसी के लिए।
जो बात बनी तुम्हें सुनाने को।
उसे बचाये रखते हैं तुम्हारे लिए।।

नगमें कईं हैं गाने को ,
पर गाते नहीं किसी के लिए।
जो दिल को पंसद है।
बस रहना है उसी को लिए।
कहनें को जग है साथ में।
पर तुम खास हो मेरे लिए।।

-कविता रानी।

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