जिन्दगीं


 


जिन्दगी


सफ़र मेरा आसान  न था,

ना आसान जिन्दगी जिया मैं कभी।

अपनी परेशानियों से  आगे बडा में। 

लड़ रहा चुनौतियों से अभी।

पता है मुझे अंतिम लश्य यहाँ नहीं। 

पर दुनिया छोड़ अभी जाना नहीं। 

कहाँ  तक पहुँचा हूँ नहीं पता,

बस रूका हुआ सा लग रहा हूँ अभी।

आसान ना था पहला पड़ाव पाना,

अभी बाकी हैं बढ़ाव सामने कई ।

कौन जाने कहाँ तक जायेगी।

जिंदगी मेरी कब खुलकर मुस्कुरायेगी।

अभी बस गीन रहे दिन  यूँ ही, 

जिंदगी आसान है ,पर है रूकी हुई।

सफर मेरा आसान था भी नहीं, 

ना आसान जिन्दगीं जिया मैं कभी। ।


- कविता रानी।

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