जो बारिश हुई।
जो बारिश हुई।
तपती जमीन को सुकून मिला।
गर्म हवा शीतल हुई।
एक तड़प जो जीने की लगी थी,
उस जुनून को जान मिली।
कब से इंतजार कर रहें थे,
इस सुखे का खत्म होने का।
जलती धरा अब नम हुई,
कई दिनों बाद जो बारिश हुई। ।
चहरे खिल गये,
रूह को राहत मिली।
घबराहट जो बढ रही थी,
उसे चाहत अपनी मिल गई।
लगता हैं जैसे मिन्नते पुरी हुई,
कई दिनों बाद जो बारिश हुई। ।
- कविता रानी।
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