वक्त भी बदलेगा
वक्त भी बदलेगा
बादल गरज रहे,
बिजलियां चमक रही।
मौसम भड़क रहा,
बारिश बरस रही।
मैं बिन मौसम बैठा हुँ,
क्यों मैं ऐसे ऐठा हुँ।
कही खोया हुआ सा मन मेरा,
सोच रहा मैं आगे बढ़ने की।
वो भाव मेरे औझल है,
सब और जल ही जल है।
ये नहीं की मैैं हारा हूँ,
पर अपनों से बेसहारा हूँ।
मैं रोज नयी दौड़ चूनने वाला हूँ ,
जीवन में जोड़ नयी बुनने वाला हूँ।
इंतजार में हूँ कब बहुगाँ,
बहता निर्मल दरिया बनुगाँ।
सब कुछ प्रकृति पर है,
मौसम भी बदलते है।
ये वक्त भी बदलेगा,
मेरा वक्त भी बदलेगा।।
- kavitarani1
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