है मोहब्बत तो
है मोहब्बत तो
कैसी मोहब्बत का आलाप करते।
स्थिर चित् ना एक पल धरते।
हरते रुप, धुप जग की रोज ही।
कैसे अपना एक मन है कहते।।
है मोहब्बत तो जलना सिखो।
तेज धुप में अपनों की सुनना सिखो।
है बंसत तो पतझड़ की याद रखो।
है बारिश तो सुखे को ध्यान रखो।
दूर बैठ ना ज्ञान बांटो।
अपने अस्थिर मन को ना बांटो।
है सत्य प्रेम तो मीरा बन जाओ।
मिले प्रेमी से तो राधा बन जाओ।
एक ही मन को एक पर रखना सिखो।
है मोहब्बत तो जीना सिखो।।
- kavitarani1
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