आज बेहतर जी सकते हैं / Aaj behatar jee sakte hai




आज बेहतर जी सकते हैं 


जरूरी नहीं हमेशा उड़ते पतंगे पकड़े।

कहीं बेठी हुई तितलियाँ भी मन को भर सकती है।

हवाओं के रूख बदलने की आस से अच्छा,

 सर्दी की ठण्डक और गरमी की लू का भी स्वाद ले सकते है। 

पूनम का चाँद दूर है अभी तो क्या? 

अर्द्ध चाँद का दर्शन भी मन को भा सकता है।

अपने मन को राजी करना भी जरूरी है,

नजरों को नज़ारों के आनन्द के लिये मना सकते है ।

क्या ही हैं वश में इंसान के करने को,

जो मिल रहा उसका स्वाद लिया जा सकता है। 

किस्मत को कोसने से वक्त गुजरता,

जो है अभी उसे अच्छे से जीया जा सकता है। 

लश्य बड़े रखें जीवन में,

आज कर्म पर ध्यान लगा,आगे बड़ा जा सकता है। 

यूँ खोने की नहीं मिली ज़िंदगी, 

जो है उसके साथ बेहतर जीया जा सकता है।।


- कविता रानी। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya