बैचेन हूँ मैं | bechain hun mein | I unrest


बैचैन हूँ मैं - वीडियो देखे


 बैचेन हूँ मैं 


सुबह से उठते ही, अलग सी बैचेनी घेर लेती है। 

प्यार की तड़प से अलग, आगे की सोंच घेर लेती है। 

जाना है घर,गाँव अपने, यह भी बदल देती है। 

रहना है फिर से मस्त, यह भी अस्त कर देती है। 


अभी उगा ही था रवि की, बैचेनी घेर लेती है। 

अभी तो जल-जल कर पकने लगा था कि,

परेशानियाँ तोड़ दे रही है। 


बचपन से उठाई परेशानियाँ सामने है। 

दूर जा रहा इन बुरे लोगो से,

पर घर जाने की भी इच्छा कहाँ है। 

सब ठीक होने की आस में हूँ। 

और अभी बैचेन हूँ मैं। 


ना खाना समय पर खा पा रहा।

ना नींद समय पर ले पा रहा हूँ मैं। 

मेहनत से कई कोस दूर जा चुका ।


ऐसे जग में हूँ मैं। 

बैचेन कर दिया इस दुनिया ने।

कितना कमज़ोर हूँ मैं। 

बैचेन हूँ मैं। 


Kavitarani1 

36


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi