दुनियादारी | Duniyadari


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 दुनिया दारी 


दुनिया दारी में उलझ कर ।

अपने काम में मग्न होकर ।

लगता है जैसे एक जमाना पिछे छोङ आये ।

जैसे जीवन तो अब जी रहे ।।


वो जो कभी खाली समय कोई गाना पुराना सुन लेते ।

या कोई पुराना लिखा गीत पढ़ लेते ।

तभी याद आता है कि क्या खोया है और क्या पाया है ।

तभी समझ आता है कि जीवन कहाँ तक ले आया है ।।


वरना इस भाग दौड़ में बस होड़ दिखती ।

बस आज की ही पड़ी रहती ।

बस कल तक की ही सुध रहती ।।


पर जब कोई मन को खुरेज देता है ।

या बस बचपन की पुछ लेता है ।

कि वो सुनने लगता नहीं कि क्या पाया-क्या खोया है ।

मन भर आता है कि जीवन ने क्या दिया है ।।


ऐसे-वैसे करते समय गुजर गया है ।

आज में उलझ कर भी जीवन कट गये हैं ।

अब सुकून और सेहत पर ध्यान देते है ।

अब बस बस समय पर छोड़ देते है ।।


Kavitarani1 

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