सपने खोये है
सपने खोये है
सुनहरे सपने अब और नहीं।
यादगार शामें अब और नहीं।
तारों भरी रातें अब कहीं और है।
जो जीये सुःख-दुःख कहीं और है।।
कहीं जाऊँ तो बस अपनी चादर तक।
अब सपनें कहीं और नींद कहीं है।
लग रहा था सफर लम्बा बहुत।
सफर का अंत अब यहीं कहीं है।।
शामें मेरी खोई हुई है।
रातें मेरी खोई हुई हैं।
मन उदास है कभी- कभी उलझने मन भरी है।
सुनहरे सपने अब और कहीं है।।
- कविता रानी।
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