चल रहा हूँ मैं | Chal rha hu mein | I'm walking- motivational poem
चल रहा हूँ मैं
कुछ सायों से, कुछ हम सायों से मिल रहा हूँ मैं।
रूकना चाहूँ एक ठोर पर,
पर दर-दर भटक रहा हूँ मैं।।
सफर ऐ जिंदगी चल रहा हूँ मैं।।
कसमकस सी छिड़ी है मन के कोनों में।
हर दिन मन को समझ रहा हूँ मैं।
रूठे लोगो को मनाने को।
अपनी बिगड़ी बनाने को।
मेरे घावों को भूल रहा हूँ मैं।
सबको माफ कर आगे बढ़ रहा।
सफर ऐ जिंदगी चल रहा हूँ मैं।।
फिर नये सफर को चल रहा हूँ मैं।
मन को बार-बार समझ रहा हूँ मैं।
है यही जिंदगी।
है यही बंदगी।
इसी को जी रहा हूँ मैं।
अजनबियों को अपना मान रहा।
आगे बढ़ रहा हूँ मैं।
सफर ए जिंदगी चल रहा हूँ मैं ।।
Kavitarani11
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