अब की शाम | This evening | abki sham


 

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अब की शाम 


आसमान नीला तो है,

पर लालिमा नजर नहीं आ रही । 

आज की शाम भी मजेदार तो है,

 पर मस्त नहीं लग रही।।

ये रंग मन पर जो चढ़ता था कभी,

 खोया है। 

जो मन नम नजरों से झांकता था कभी,

 खोया है। ।

अबकी शाम अलग है, 

अबकी शाम हटके है। 

ये मधुरता लिये है,

 इसमें कुछ संतोष है। ।

पंछी गुम है गगन से यहाॅ,

ना आसमान में कोई बादल है यहाँ।  

विरह की वेदना पढ़ता था जिसमें मैं कभी,

वो शाम कहीं गुम है अभी।

अबकी शाम नई सी है। 

ये शाम अलग है। ।


Kavitarani1 

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