बेमैल जिंदगी मेरी | bemel hai zindagi meri
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बेमैल जिंदगी मेरी
बड़ी बेमैल है जिंदगी मेरी ।
बड़ी बेमैल है दुनिया मेरी ।
एक सुख तक सुखी रखती है।
दुजे वक्त दुखी रखती है।।
समझना चाहूँ समझे लोगों को ।
नासमझी मुझे ये लगती है ।
एक आग सी है पगदण्डी मेरी ।
मंजिल फुलो से सजी है ।।
ठिठुरन अंदर से कंपा रही ।
बड़ी मजबुर है जिंदगी मेरी ।
जब चलने की ठान लेता हूँ ।
रुकावटें चुनौतियों बन जाती है ।।
हॅसके रूक जाऊँ जो ।
रास्ते और जिंदगी चलने को कहती है ।
रूकना भाता नहीं जो रूक जाऊँ ।
चल ना पाऊँ जो चलना चाहूँ ।।
आसान नहीं जिंदगी मेरी ।
यही लगती है बन्दगी मेरी ।
सोंच अकेले, बुनता हूँ जो ।
लगता है, बड़ी बेमैल है जिंदगी मेरी ।।
Kavitarani1
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