सच्चि बन | sachchi ban | Be fair
सच्चि बन
झुठिया ना वादा कर, दुनिया झुठी ।
सच्चाइयाँ तु बाता कर, बन तु सच्ची ।।
कि लेना मैंने दुनिया नूँ, दुनिया की देनी ।
ऐसे ना तु तोड़ा कर, दुनिया ये तोड़ती ।।
है अपनी यारी प्यारी -प्यारी रह लेण दे ।
कहनी नहीं किसी की अपनी केण्ह दे ।।
केहना है तेनु ये, दुनिया की क्यूँ केनी ।
रहना है तेनु ये, समझ क्यूँ नी रे री ।।
अपनी तु गलां कर, दुनियाँ की केनी ।
झुठिया ना वादा कर, दुनियाँ है झूठी ।।
हुण अपनी सह जांदे, जांदी जिन्दगनी ये ।
किण केणा, किण सुनण अपनी जीनी खुदी है ।।
कि सुनणा दुनियाँ नूँ, गला खत्म नी होणी ।
अपनी गाणी है, अपनी ही है बनाणी ।।
आते जाते लोगां नूं फिक्र नहीं करनी ।
करनी है अपनी बस अपनी करनी ।।
केणा वो ही कैणा जो पूरा हो जाते ।
आधी रहे मन में आधी समय नू ढोल जावे ।।
जावे जो समय नाल उन गल नी कैणी ।
बिताये जो समय साथ वो बातां ही रैणी ।।
अपनी है कहानी, दुजों की बाता की होणी ।
गलां करां फैर, बस मन की जो सोणी ।।
झुठिया ना वादा कर, दुनिया मिली रही झूठी ।
बच्चियाँ तु बतां कर, बन साथी मेरी सच्ची ।।
Kavitarani1
44
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें