तुम | Tum | You
तुम
तुमसी कोई नहीं, तुम्ही चाहिये ।
मुझे ज्यादा की जरूरत नहीं बस तुम ही चाहिये हो ।।
जैसे भी हो मन को भाती हो ।
कम ही हो पर तुम्ही हो ।।
कहीं खोज नहीं रहें क्योंकि पास तुम हो ।
मुझे उम्मीद नहीं ओर की बस तुम दूर ना हो ।।
जैसे भी हो खुब लगती हो ।
कम हो चाहिए तुम खुब हो ।।
तुमसे उम्मीदें ज्यादा नहीं बस पास तुम रहो ।
दुर से ही सही बस मुझे सुनती रहो ।।
जैसे भी हो बस बात हो ।
कम से कम एक बार चेहरा दिख जाये ।।
खुब सोंचा खुद करती रहती हो ।
और मुझे चुप किया करती हो ।।
जैसे भी हो दिन गुजार देती हो ।
मेरे सफर को पूरा कर देती हो ।।
तुमसा नहीं कोई लगता है, और सच भी है ।
पर रत पाना अकेले लगता बेहतर भी है ।
जैसे गुस्सा जो तुम करती हो ।
और जैसे तुम मुझ पर चिढती हो ।।
Kavitarani1
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