जिंदगी गुजर जाती है | Zindagi gujar jati hai
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जिंदगी गुजर जाती है
दिन ढल जाते है।
रातें गुजर जाती है।
जहाँ लोग साल बितने की बातें करते है ं।
वहाँ जमाने बीत जाते हैं।।
एक अरसा हो गया, वो परछाई ढुंढते-ढुंढते।
कभी धूप सर के ऊपर मंडराती रही।
कभी अंधेरा राह भटकाता रहा।
निकले थे अपने घर से, किसी आँगन से होकर।
गलियों में जाकर पत्थरों से टकराते रहे ।।
दिल टुट जाते हैं।
बातें भूला दी जाती है।
हम उस जहान में रहते हैं।
जहाँ जिंदा इंसानो पर मीनारें चुना दी जाती है।।
कई चेहरे देखे कि पसंद आ जाये कोई।
अकेली है राह पर जिन्दगी, कि भा जाये कोई।
वो नियम साफ और साहस ना ढूंढ पाया।
था एकान्त पसंद, और खुद को अकेला पाया।।
सोंच सुनहरे कल की, जिंदगी बढ़ जाती है।
कुछ पल मुस्कराकर राहें कट जाती है।
यूँ तो आसान है सांसे लेना खुद ही।
पर कोई साथ अच्छा मिले तो बात बन जाती है।
जहाँ राहें मुश्किल कटती।
वहाँ जिंदगी आसानी से कट जाती है।
और ज़िन्दगी गुजर जाती है।।
Kavitarani1
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