बेपरवाह है | Bepravah hai
बेपरवाह
हो बड़ी बेपरवाह तुम ।
कहती हो क्या ।
सब समझ आता है मुझे ।
कुछ कहता नहीं तो क्या ।
क्या-क्या ना कह पास लाता तुझे ।
हाँ, ये मेरी कमजोरी है ।
मिलती नहीं हमजोली है ।
मिल जाती टोली पर,
हटके मिले वो चाहिये मुझे ।
तुझे परवाह नहीं,
और मुझे इसका गम नहीं ।
हूँ अकेला, छेला,
अपनी जीवन बेला में, मैं रेला,
जानता हूँ कब क्या करना है ।
वश नहीं मन पे,
यही एक झमेला है ।
पर तु जो हो पास,
कहती हो अपनी बात,
बात में प्यार तो नजर ना आता,
आता है प्यार साथ लम्हों पे,
और तेरी बेपरवाह जिन्दगी पे ।
यही तो कुछ खास है,
तु बेमिसाल है,
पर तू बड़ी बेपरवाह है,
तू लापरवाह है ।।
Kavitarani1
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