कहना है तुमसे ही / Kahna hai tumse hi
कहना है तुमसे ही
मजबुर नहीं आज मैं,
ना दोष कोई रखता हूँ ।
कोई जरा सा प्यार से कहे,
बस वहीं मैं बसता हूँ ।
है जमाने में लोग कई,
सुनाने को दोस्त कई ।
पर इस दिल को कहना है तुमसे ही,
साथ रहना और सुनना है तुमसे ही ।
मुझपे वश नहीं किसी का,
और मन मेरे वश में नहीं ।
सुखा रेगिस्तान सा जहाँ मेरा,
फूलों को रखना हेसियत में नहीं ।
जानता हूँ किस्मत नहीं सहज की,
मैं भी कोई अब आम नहीं ।
पर दिल जिसको चाहे,
उसके लिये मैं कुछ भी नहीं ।
समझे ना कोई - कोई फर्क नहीं,
समझे बस तु कहना यही ।
कहना है तुमसे जो कहना ,
सुनना है तुमसे जो सुनना है ।
हो हाल कोई,
हो बात कोई,
खुसी तुमसे ही,
गम तुमसे ही,
कहना है तुमसे ही ।।
Kavitarani1
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