मन में क्यों सुखा है | man mein kyun sukha hai




मन में क्यों सुखा है 


बारिश है, सब तर है, 

हवा शीतल और नम है,

खुश है जीव सारे,

खुशहाल है आलम सारा,

फिर मन में क्यों सुखा है ।


हवायें तेज है, 

बादलों में वेग है, 

पर्वत भी नम है,

बाहर बङी उमंग है, 

फिर मन में क्यों सुखा है ।

 

शौर है पशु-पक्षियों का,

लोगों की अठखेलियाँ है, 

आनंद है मौसम का,

तन का भी मौज है, 

फिर मन को क्या खोज है ।


बुँदे बारिश की, 

सुगंध है मिट्टी की, 

गीत है पवन के,

हरीयाली की चादर है,

आनंद के सुर है,

फिर मन क्यों असुर है ।

मन में क्यों असुर है ।

मन में क्यों सुखा है ।।


Kavitarani1 

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