शिखर पर | Shikhar par
शिखर पर
श्रेष्टता के शिखर को त्याग कई ।
राह मुश्किल बड़ी, दिक्कतें आम कई ।
शिखर पर जाकर सुविधायें कई ।
रुक कर रहना शिखर पर, आसान नहीं ।
मानवता के मार्ग में उपाय जीने के कई,
सफलताओं के आयाम कई ।
मिले आसान कुछ, सबकी सोंच रहती यही ।
चलते रहने में समझ मेरी, रूकना मेरी फितरत नहीं ।
एक जीवन, एक सार, मिले मंजिल ऊँचाई भरी ।
पाना है शिखर बस, अब जीने की राह यही ।
जानता हूँ शिखर को पाने हेतु त्याग कई ।
और राह पर आगे भी मुश्किल कई ।
Kavitarani1
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