शिखर पर | Shikhar par
इस कविता में बताया गया है कि कैसे शिखर को प्राप्त करने में हमें सब कुछ दाव पर लगाना पङता है। बिना त्याग के सब चाहने वालों को इससे प्रेरणा मिलेगी।
शिखर पर
श्रेष्टता के शिखर को त्याग कई ।
राह मुश्किल बड़ी, दिक्कतें आम कई ।
शिखर पर जाकर सुविधायें कई ।
रुक कर रहना शिखर पर, आसान नहीं ।
मानवता के मार्ग में उपाय जीने के कई,
सफलताओं के आयाम कई ।
मिले आसान कुछ, सबकी सोंच रहती यही ।
चलते रहने में समझ मेरी, रूकना मेरी फितरत नहीं ।
एक जीवन, एक सार, मिले मंजिल ऊँचाई भरी ।
पाना है शिखर बस, अब जीने की राह यही ।
जानता हूँ शिखर को पाने हेतु त्याग कई ।
और राह पर आगे भी मुश्किल कई ।
Kavitarani1
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